स्त्री की जगह स्त्री की जगह
देख तू बता ज़रा, निर्बल तू किस प्रकार है। आरंभ है निर्माण का, जीवन का तू आधार है।। देख तू बता ज़रा, निर्बल तू किस प्रकार है। आरंभ है निर्माण का, जीवन का तू आधार ह...
अरे वो तो अशुअंचल है देख सको तो देखे कविता रो रही है। अरे वो तो अशुअंचल है देख सको तो देखे कविता रो रही है।
संघ के पथ पर चलने कबसे उत्सुक थी। संघ के पथ पर चलने कबसे उत्सुक थी।
जी करता है बना पतिंगा, जान लुटा दूँ मर जाऊं। जी करता है बना पतिंगा, जान लुटा दूँ मर जाऊं।